Gumboro is also known as Infectious bursal disease (IBD), which is just like AIDS disease of man. It leads to severe immune suppression besides heavy mortality in growing broilers mainly in the age group of 2 to 6 weeks. Major symptoms include high fever, dull, depressed, yellowish white diarrhoea and death. On Postmortem examination, bursa and leg muscles show hemorrhages,. This disease is a cause of heavy economic loss to broilers as a result of high morbidity and mortality. After Gumboro, many otherdiseases like CRD,Coccidiosis affect birds as they can not fight the infection.
It is therefore very essential to carry out vaccination in broilers at the age of 12-14 days taking all precautions to maintain cold chain throughout,. If still outbreaks occur, use of GUMBO-ROK minimizes losses and it will help birds to regain their normal status faster without losing much weight.
Prevent Clinical & Subclinical Gumboro (IBD) Boost immunity lost during IBD outbreak, prevent secondary complications after IBD outbreak,increase growth.
(मुर्गीयों में गम्बोरो रोग की रोकथाम एवं इलाज की प्रभावी होम्योपेधिक औषधि)
यह मुर्गों की एड्स जैसी बीमारी है जिसमें मुर्गों की बीमारियों से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है, इसके अतिरिक्त मृत्युदर भी काफी बढ़ जाती है। यह बीमारी मुख्यत: 2-6 हफ्ते के मुर्गो में अधिक होती है। इसके मुख्य लक्षण है- तेज बुखार, मुर्गों के पंख ढीले कर सुस्त बैठना, सफेद-पीले दस्त, तथा मृत्युदर में बढ़ोत्तरी जो अगले 3 दिन में और बढ़ जाती है। मरे हुए मुर्गो की टांगो पर चमड़ी के नीचे खून के धब्बे नजर आते है। इस की वजह से मुर्गी पालक को बहुत नुकसान उठाना पड़ता हैं क्योकि एक तो मृत्युदर बढ़ने से, दूसरा अन्य बीमारियों का प्रकोप अधिक होने से । अत: इसके बचाव का टीका जप 12-14 दिन की आयु में चुजों को पानी में पिलाना चाहिए | यदि बीमारी का प्रकोप फिर भी होता 4 ; है तो गम्बो-रोक दवा के इस्तेमाल से इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है तथा इस बीमारी के कारण मुर्गों में रूका हुआ वजन बढ़ने लगता है तथा मुर्गे शीघ्र स्वस्थ हो जाते है। अतः गम्बोरो के प्रकोप को कम करने के लिए गम्बो-रोक इस्तेमाल करें|
लाभ :
- कोई दुष्प्रभाव नहीं।
- कोई औषध-विरोध उत्पन्न नहीं होता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास में बाधक नहीं।
- अच्छी एफ.सी.आर. और ग्रोथ मिलती है
- सुरक्षित व सस्ता इलाज।
खुराक: 100 मुर्गियों के लिए 5-7 मि.ली., 2-3 घण्टे पीने के पानी में दिन में दो बार सुबह/शाम (3-5 दिन)
या सफेद ब्रेड को दवा के पानी में भीगाकर मुर्गीयों को खाने के लिए दें। या पशु चिकित्सक के परामर्श से प्रयोग करें।
पैकिंग: 200 मिली., 450 मिली. ।
नोट: सही तरीके से पानी में मिलाना बहुत जरूरी है