VERY EFFECTIVE HOMEOPATHIC MEDICINE FOR IBH & TOXICITY
IBH (INCLUSION BODY HEPATITIS ADENO VIRUS INFECTION) : –Potentiated by IBD & CIA (Chicken Infectious Anaemia Virus) There are many different serotypes associated with natural outbreaks of IBH, among those recorded are F1, F2, F3 & F4.
SYMPTOMS & LESIONS
- This disease is usually seen in broilers in the age group of 3-7 weeks. 2. There is sudden occurrence of mortality on 5th day after infection and which may continue for 2-3 weeks.
- Mortality can reach upto 10% in some cases & occasionally up to 30%.
- It has been reported in birds as young as 7 days & as old as 20 weeks. 5. Main Lesions are pale friable swollen liver, Petechial or echymotic haemorrhages may be present in liver & on skeletal muscles, enlarged/swollen kidneys, hydro pericardium in some cases. IBH & Tox Cure is effective in feed toxicity also since lesions are quite similar in such cases also.
PREVENTION & CONTROL : –As both IBD & CIA have been shown to potentiate the Pathogenity of adenoviruses, the Ist step must to be control or eliminate these two viruses by vaccination & disinfection.
Note : Proper mixing with water is very important.
( मुर्गीयों में आईबीएच और टॉक्सीसिटी रोग के रोकथाम व इलाज की अत्यन्त प्रभावी होम्योपेधिक औषधि)
मुर्गीयो में आईबीएच इन्क्लूजन बॉडी हेपेटाइटिस एडीनो वायरस के कारण से होता है। आईबीडी और सीआईए वायरस इस बीमारी को बढ़ाने मे सहायक है। आईबीएच के वायरस कई प्रकार के होते है। जैसे – F1, F2, F3, और F4
IBH एडीनोवायरस के लक्षण: –
- यह बीमारी ज्यादातर 3-7 हफ्ते के ब्रायलर मुर्गों में मिलती है।
- अचानक बीमारी के पाँचवे दिन से चूजों में मृत्यु का प्रारम्भ होना और दो तीन सप्ताह तक चलना।
- सामान्यतः मृत्युदर 10 फीसदी तक रहता है परन्तु कुछ मुर्गियों में यह 30 फीसदी तक पायी गयी है। (जिनकी उप्र 3 से 7 सप्ताह के बीच रहती है।)
- कुछ पक्षियों में यह 7 दिन से लेकर 20 सप्ताह की आयु में भी पाया गया है।
- जिगर का पीला व बड़ा होना तथा जिगर की माँसपेशियों में खून का रिसाव, गु्दों की सूजन, दिल के बाहर पानी ओसीआईबीएच एण्ड टॉक्सक्यूर का फीड पोआइजन होने पर भी अच्छा परिणाम मिलता है क्योंकि इस अवस्था है में भी ऊपर लिखित लक्षण मिलते है।
रोकथाम: – I B D और C I A दोनों ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने वाले वायरस है सर्वप्रथम इन दोनों। वाईरस की रोकथान वैक्सीन एवं विषाणुनाशक दवाओं के छिड़काओं द्वारा करनी चाहिये।
लाभ :1. कोई दुष्प्रभाव नहीं। 2. कोई औषधि- विरोध उत्पन्न नहीं होता है। 3. रोग प्रतिरोधक क्षमता के
विकास बाधक नहीं। 4. अच्छी एफ.सी.आर. और ग्रोथ मिलती है। 5. सुरक्षित व सस्ता इलाज।
खुराक : 100 मुर्गियों के लिए 5-7 मि.ली. , 2-3 घण्टे पीने के पानी में रह. दिन में दो बार सुबह/शाम (3-5 दिन) या सफेद ब्रेड को दवा के पानी में भीगों कर मुर्गीयों को खाने के लिए दें। या पशु चिकित्सक के परामर्श से प्रयोग करे।
पैकिंग : 200 मिली. , 450 मिली.।
सही तरीके से पानी में मिलाना बहुत जरूरी है